बिलासपुर: Chhattisgarh High Court इंडस्ट्रियल कोर्ट में असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट के पद पर हरवंश को प्रभारी रजिस्ट्रार बना दिया गया है. इसे रवेली अभनपुर जिला रायपुर निवासी अशोक कुमार अग्रवाल ने रिट ऑफ क्वो वारंटो पेश कर हाईकोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में बताया गया है कि इस पद पर सिर्फ पदोन्नति के आधार पर ही नियुक्ति दी जाती है. 5 साल तक सुपरिटेंडेंट के रूप में काम करने के बाद ही रजिस्ट्रार नियुक्त किया जाता है, लेकिन यहां हरवंश ने असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट के तौर पर अब तक काम किया है. यह नियुक्ति छत्तीसगढ़ श्रम न्यायपालिका सेवा सीमा भर्ती नियम 1965 के अनुसार की जानी है. Industrial Court Incharge Registrar Case
नियुक्ति नियम के विपरीत: 1965 के नियम 13 के साथ पठित अनुसूची 4 के अनुसार रजिस्ट्रार इंडस्ट्रियल कोर्ट का पद उम्मीदवार की पदोन्नति के लिए गठित विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा मंजूर किया जा गया है. जिसने अधीक्षक औद्योगिक न्यायालय के रूप में सेवा की है. इस प्रकरण में प्रतिवादी ने सिर्फ सहायक अधीक्षक के रूप में काम किया है. यह नियुक्ति नियम 2010 के विपरीत भी है. Chhattisgarh High Court notice on Industrial Court Incharge
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मांगा जवाब: इस मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस पीपी साहू ने सुनवाई के बाद सभी पक्षकारों राज्य शासन, श्रम विभाग, इंडस्ट्रियल कोर्ट के अध्यक्ष और प्रभारी रजिस्ट्रार हरवंश को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है.chhattisgarh high court news
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याचिका में क्या कहा गया: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पेश की गई याचिका में बताया गया है कि चयन प्रक्रिया में 58% आरक्षण को मानते हुए ही चयन किया गया है. हाईकोर्ट का इस मामले में नया आदेश आने के बाद अब 50% आरक्षण लागू किया जाएगा. इसके विपरीत अब रिक्त पदों पर ली गई मेरिट की स्थिति भी बदल जाएगी. इस पद के लिए 6 साल या इससे अधिक अनुभव रखने वालों को अवसर ना देकर कुछ नए लोगों को ही ले लिया गया है.